अडवाणी जी ने अटल जी के लिये भारत रत्न क्या मागां .. अचानक उनके सभी सोये साथी जाग गये. जैसे राशन की दूकान पर "मिट्टी के तेल" आने कि खबर लगते ही सभी कतार लगा देते है.... पुरा हजुम आ गया..
तो शायद अडवाणीजी को खबर लगी कि इस बार भारत रत्न बटने वाला है तो उन्होने बडी इमानदारी से अटलजी का नाम आगे कर दिया.. इमानदारी इसलिये कि उन्होने अपना नाम आगे नहीं किया.. फिर क्या था हर रोज .. सुबह, दोपहर, शाम नये नये नाम आने लगे.. सभी को एक ही चीज चहिये थी .."भारत रत्न"..
माया को काशीराम के लिये..
अजित सिहं को अपने पिताजी चौधरी चरण सिहं के लिये...
डी एम के को करुणानिधि के लिये..
नवीन पटनायक को अपने बिजु पटनायक के लिये...
मुलायम सिह को लोहिया जी के लिये
पसवान को रफी साहब और कपुरी ठाकुर के लिये..
और न जाने किन किन को किन किन के लिये..
मिडिया ने भी शटर खोल दिये.... SMS मागने शुरु कर दिये.. कुछ नये नाम आगे कर दिये.. टाटा, तेन्दुलकर, वगैराह वगैराह..
ये सब देख सुन पढ हमें लगा कि लगे हाथ हम भी अपने लिये "भारत रत्न" मांग लेते है... (कहीं अगर इनमे सहमति न बने तो "निर्दलीय" का नम्बर या जाये.. जैसे मधु कोडा कि किस्मत चमकी)..
तो हम आप लोगो के मध्यम से अपने लिये भारत रत्न मांग रहे है.... क्यों?
सबसे बडी बात तो ये कि हम इन सभी महान लोगो के होते हुए जी रहे है.. रोज ब्लु लाइन से टकराते चल रहे है....
कमर तोड मंहगाए से झुझ रहे है.. हर गम हसते हसते झेल रहे है..
बेरोजगारी, भष्टाचार से मुकाबला कर रहे है... बच्चो के लिये एक अदद स्कुल को तरस रहे है...
इलाज के लिये इंतजार कर रहे है.. दवा खरिदने के लिये घर का सामान बेच रहे है..
बारिश की उम्मीद मे खेत जोत रहे है.. और जब खुदा मेहरबान हो तो नकली खाद और दवाइयों से छले जा रहे हें.
कर्ज मे डुबे आत्महत्या कर रहे है... राहत की रोटी के उम्मीद मे जी रहे है....
यह सब झेल कर भी चुपचाप आपके किये वोट दे रहे है.. आप साहेब को संसद मे लडता, सोता देख कर भी मुह बन्द कर बैठे है.. आपके हर घोटाले पर आखे मुद ले रहे है.. आपके हर चमचे कि झिडक खा रहे है..
आपके होते हुये भी हम जी रहे है.. इससे बडी उपलब्धी आपको क्या चहीये.. एक अदद भारत रत्न बचा है उसे तो हमारे लिये छोड जाइये.. इस बार का भारत रत्न हमको दे जाइये...
हमारे लिए भी भारत रत्न !!
हमारे लिए भी भारत रत्न !!
अडवाणी जी ने अटल जी के लिये भारत रत्न क्या मागां .. अचानक उनके सभी सोये साथी जाग गये. जैसे राशन की दूकान पर "मिट्टी के तेल" आने कि खबर लगते ही सभी कतार लगा देते है.... पुरा हजुम आ गया..
तो शायद अडवाणीजी को खबर लगी कि इस बार भारत रत्न बटने वाला है तो उन्होने बडी इमानदारी से अटलजी का नाम आगे कर दिया.. इमानदारी इसलिये कि उन्होने अपना नाम आगे नहीं किया.. फिर क्या था हर रोज .. सुबह, दोपहर, शाम नये नये नाम आने लगे.. सभी को एक ही चीज चहिये थी .."भारत रत्न"..
माया को काशीराम के लिये..
अजित सिहं को अपने पिताजी चौधरी चरण सिहं के लिये...
डी एम के को करुणानिधि के लिये..
नवीन पटनायक को अपने बिजु पटनायक के लिये...
मुलायम सिह को लोहिया जी के लिये
पसवान को रफी साहब और कपुरी ठाकुर के लिये..
और न जाने किन किन को किन किन के लिये..
मिडिया ने भी शटर खोल दिये.... SMS मागने शुरु कर दिये.. कुछ नये नाम आगे कर दिये.. टाटा, तेन्दुलकर, वगैराह वगैराह..
ये सब देख सुन पढ हमें लगा कि लगे हाथ हम भी अपने लिये "भारत रत्न" मांग लेते है... (कहीं अगर इनमे सहमति न बने तो "निर्दलीय" का नम्बर या जाये.. जैसे मधु कोडा कि किस्मत चमकी)..
तो हम आप लोगो के मध्यम से अपने लिये भारत रत्न मांग रहे है.... क्यों?
सबसे बडी बात तो ये कि हम इन सभी महान लोगो के होते हुए जी रहे है.. रोज ब्लु लाइन से टकराते चल रहे है....
कमर तोड मंहगाए से झुझ रहे है.. हर गम हसते हसते झेल रहे है..
बेरोजगारी, भष्टाचार से मुकाबला कर रहे है... बच्चो के लिये एक अदद स्कुल को तरस रहे है...
इलाज के लिये इंतजार कर रहे है.. दवा खरिदने के लिये घर का सामान बेच रहे है..
बारिश की उम्मीद मे खेत जोत रहे है.. और जब खुदा मेहरबान हो तो नकली खाद और दवाइयों से छले जा रहे हें.
कर्ज मे डुबे आत्महत्या कर रहे है... राहत की रोटी के उम्मीद मे जी रहे है....
यह सब झेल कर भी चुपचाप आपके किये वोट दे रहे है.. आप साहेब को संसद मे लडता, सोता देख कर भी मुह बन्द कर बैठे है.. आपके हर घोटाले पर आखे मुद ले रहे है.. आपके हर चमचे कि झिडक खा रहे है..
आपके होते हुये भी हम जी रहे है.. इससे बडी उपलब्धी आपको क्या चहीये.. एक अदद भारत रत्न बचा है उसे तो हमारे लिये छोड जाइये.. इस बार का भारत रत्न हमको दे जाइये...
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