युगान्तर

वो सुबह कभी तो आयेगी..............

क्या काबुल में भी गधे होते है...

पॉल बाबा
पॉल के चक्कर में पुरी दुनिया घूम रही है.... पॉल बहुत बड़ा भविष्यवक्ता हो गया... अमिताभ से लेकर तमाम बड़ी हस्तियाँ उसके गुणगान गाने लगी.. है कौन ये पॉल.. एक ओक्टोपस न.. कुछ इशारा किया सही हो गया.. कभी गलत भी होगा.. तुक्का कैसे लगा.. कुछ पता नहीं.. पर तथाकथित विकसित देश भी इस झांसे में आ गए... हैरानी होती है भारत को सपेरों का देश कहने वाले यूरोपीय आज २१ वीं सदी में एक ओक्टोपस की चर्चा कर रहें है.... और तरस आता है जर्मनी पर उसकी भविष्यवाणी सही होने पर उसे बेचारे ओक्टोपस को मरने मारने पर उतारू है.. ये सब तुम्हारा की हो किया धरा है.. बेचारे को समुद्र से पकड़ लाये... कुछ हिलाना डुलना और डिब्बे पर बिठाना सीखा दिया...  उसके किसी डिब्बे पर बैठने के अपने मायने तय कर दिए.. जय हो...
काबुल में गधे..

सपेरों के देश भारत में ये सदियों से हो रहा है.. पूरा "विज्ञान?" बना है.. हर तरह की भविष्वाणी करते है... ज्यादातर मनुष्य करतें है.. कुछ तोते भी है..

पॉल को देख दो बातें समझ आती है...
१. भारत ज्यादा विकसित देश है... यहाँ कम से कम इंसान की बातों का भरोसा किया जाता है...
२. काबुल में भी गधे होते है....


******
आदि की बातें यहाँ है...

6 comments:

दिनेशराय द्विवेदी July 9, 2010 at 9:11 AM  

सही है, काबुल में सभी घोड़े नहीं होते।

Udan Tashtari July 9, 2010 at 9:34 AM  

काबुल में भी गधे होते हैं और हमारे यहाँ तोते!! :)

पा.ना. सुब्रमणियन July 9, 2010 at 11:19 AM  

globalization के माहौल में गधे कैसे अछूते रहते.

प्रवीण पाण्डेय July 10, 2010 at 9:22 AM  

ऑक्टोपस का बताना कौतूहल है, धैर्य रखिये विज्ञान बन कर उभरेगा ।

ZEAL July 13, 2010 at 5:22 PM  

Andh-vishwaas !

Anonymous November 13, 2019 at 11:34 AM  

हैरानी होती है भारत को सपेरों का देश कहने वाले यूरोपीय आज २१ वीं सदी में एक ओक्टोपस की चर्चा कर रहें है।
बहुत ही शानदार पोस्ट।
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