आज इण्डिया अगेंस्ट करप्शन कि और कमेटी से कासमी साहेब को निकाल दिया गया.... कासमी जी पर आरोप है कि वो मीटिंग में ऑडियो/विडीयो रिकोर्डिंग कर रहे थे....
पहली बार में अजीब लगा... क्या ये वो ही समूह है जो लोकपाल बिल कि ड्राफ्टिंग कमिटी कि बैठकों कि रिकोर्डिंग चाहता था... क्या ये वो ही समूह है जो सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता कि वकालत करता है... आप चाहते है कि पारदर्शिता हो.. तो वो ही आप अपने समूह पर लागू क्यों नही कर सकते... सुविधानुसार नैतिक मूल्यों का चुनाव कर दोहरा मापदंड क्यों?
पहली बार में अजीब लगा... क्या ये वो ही समूह है जो लोकपाल बिल कि ड्राफ्टिंग कमिटी कि बैठकों कि रिकोर्डिंग चाहता था... क्या ये वो ही समूह है जो सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता कि वकालत करता है... आप चाहते है कि पारदर्शिता हो.. तो वो ही आप अपने समूह पर लागू क्यों नही कर सकते... सुविधानुसार नैतिक मूल्यों का चुनाव कर दोहरा मापदंड क्यों?
इसी सिलसिले में कोर कमिटी के मीटिंग मिनिट्स खोजे तो पता चला कि मीटिंग मिनिट्स कुछ इस मोहतरमा कि पौशाक जैसे है... जिसमें छुपाने कि कोशिश ज्यादा है और दिखाने कि कम.... आठ घंटों कि बैठक के मिनिट्स डेढ़ पन्नों में समेट कर छाप रस्म आदायगी कर कि गई....
मीटिंग मिनिट्स होने चाहिए कुछ इस तरह है..... दिखाई ज्याद दे, छुपाया कम जाए... और बिल्कुल हॉट....