निर्मल बाबा फ्रोड क्यों?
अभी तक जो बातें सामने आई है क्या वो निर्मल जीत सिंह उर्फ निर्मल बाबा को फ्रोड कहने के लिए काफी है....
हम इसी तरह हमारे ‘बाबाओं’ का चुनाव करते है... हम इसी तरह हमारे नेताओं को चुनते है... हम इसी तरह कम कीमत में चमत्कार के सहारे सफलता चाहते है... हम इसी तरह अपने स्वार्थों के लिए वोट देते है..... हम इसी तरह कुछ दिन के लिए हल्ला मचातें है... हम इसी तरह चाहते है कि शुरुआत कोई और करें....
निर्मल बाबा बुद्धिमान नहीं, हम मुर्ख और स्वार्थी है... निर्मल बाबा न पहला उदाहरण है न ही आखिरी... अगर ध्यान से देखेगें तो शायद लाखो ऐसे बाबा मिलेगें और करोड़ों ऐसे भक्त....
“बाबाजी” कृपा बनाए रखें....
अभी तक जो बातें सामने आई है क्या वो निर्मल जीत सिंह उर्फ निर्मल बाबा को फ्रोड कहने के लिए काफी है....
- निर्मल जीत सिंह ने विज्ञापन देकर समागम में लोगो को बुलाया.. लोगों ने बैक में जा कर अपनी इच्छा से पैसे जमा करवाए..... पहली नजर में शायद ये एक मात्र बाबा है जिसका सारा कारोबार सफेद धन का है...
- बाबा पिछले पांच साल से समागम कर रहा है... सारे चेनल उसका कार्यक्रम दिखाते है.... पूरा पैसा लेकर... बाबा कि बातें में और उपायों में कोई परिवर्तन नहीं आया... फिर ये अचानक बाबा फ्रोड कैसे हो गया... क्या सभी पांच साल से सो रहे थे... ये साधारण सी बात समझने के लिए इतना वक्त लगा... या जब तक कमाना था कमा लिया और जब हवा का रुख बदला तो न्यूज रिपोर्टरों ने अपना मिजाज बदल दिया..
- बाबा ने करोड़ों कमाए तो ये करोड़ों रुपये लाखों लोगों ने दिए.. और एक दिन में नहीं दिए कई शहरों के लोगों ने दिए... कई सालों तक दिए.. कितनों ने फ्रोड कि शिकायत दर्ज करवाई?
- बाबा ने जो पैसे लिए वो एंट्री फीस के रूप में लिए.. ये कोई दान और चन्दा नहीं है... बाबा ने अपनी कमाई पर टेक्स दिया (अभी तक कोई टेक्स चोरी का मामला नहीं आया) फिर बाबा अपने पैसे से होटल ख़रीदे या फ्लेट.. किसी को क्या लेना देना...
- बाबा कौन है? कहाँ से आया है? क्या करता था? पैसा देने से पहले किसी ने जानने कि कोशिश की? निर्मल बाबा आसमान से नहीं टपका, ये हमारी सोच और हमारी व्यवस्था कि ही उपज है..
हम इसी तरह हमारे ‘बाबाओं’ का चुनाव करते है... हम इसी तरह हमारे नेताओं को चुनते है... हम इसी तरह कम कीमत में चमत्कार के सहारे सफलता चाहते है... हम इसी तरह अपने स्वार्थों के लिए वोट देते है..... हम इसी तरह कुछ दिन के लिए हल्ला मचातें है... हम इसी तरह चाहते है कि शुरुआत कोई और करें....
निर्मल बाबा बुद्धिमान नहीं, हम मुर्ख और स्वार्थी है... निर्मल बाबा न पहला उदाहरण है न ही आखिरी... अगर ध्यान से देखेगें तो शायद लाखो ऐसे बाबा मिलेगें और करोड़ों ऐसे भक्त....
“बाबाजी” कृपा बनाए रखें....
1 comments:
मुझे आपका लेख बहुत अच्छा लगा मैं रोज़ आपका ब्लॉग पढ़ना है। आप बहुत अच्छा काम करे हो..
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