युगान्तर

वो सुबह कभी तो आयेगी..............

नारद जी, ये आग कब बुझेगी!

हिन्दी ब्लोग जगत में पिछले कुछ दिनों से आग लगी है.. भयंकर आग!! पुरा ब्लोग जगत खेमो में बंट गया हैं..

रोज कई पोस्ट सिर्फ इसी को लेकर लिखी जाती है.. सबसे ज्यादा लोकप्रिय भी यही है... और खुब प्रतिक्रियाऒ का दौर चल रहा है..

नारद भी भारत कि संसद जैसा हो गया है.. जहा कभी सत्ता पक्ष तो कभी विपक्ष कार्यवाही रोकने में लगा रहता है... चुकिं हम मे से ही लोग चुन कर वहा जाते है इसलिये न वहा उम्मीद है न यहा...

खैर, रही बात नारद के फैसले कि वो मेरी नजर में एक सही फैसला था... वो शिर्षक नारद के पेज पर एक दाग जैसा था.. उस फैसले का मैने निजी तौर पर पुरा समर्थन किया....

लेकिन नारद कि टिप्प्णी "आप इमेल भेज रहे है क्या? " मुझे उस ब्लाग से ज्यादा खराब लगी... इस तरह ताल ठोक कर चुनौती देना भी गैर जरुरी है..

अब जब लेखक ने खेद व्यक्त करते हुए अपनी विवादित पोस्ट हटा ली तो नारद को भी अपने फैसले पर फिर विचार करना चाहिये.... और बाजार को बहाल करना चाहिये..


"क्षमा बडन को चाहिये, छोटन को उत्पात"

स्वागत करे प्रतिभा पाटिल का !

करीब ४५ दिन पुर्व एक "महिला ओटो चालक" को देखकर मन में विचार आया कि देश में महिला हर क्षेत्र मे बुलन्दिया छु रही है. तब ये नही पता था की उससे कही ऊची उडान शिघ्र देखने को मिल सकती है, देश एक और मुकाम हासिल करने से चन्द कदम दुर है.
आजादी के साठ वर्षों बाद वो क्षण आने वाला है जब देश कि प्रथम नागरिक एक महिला होगी. "श्रीमति प्रतिभा देवीसिहं पाटिल".

एक महिला का देश के सर्वोच पद पर चुना जाना भारत मे महिला सशक्तिकरण कि दिशा मे मील का पत्थर साबित होगा.
इस पुरुष प्रधान देश मे.. जहाँ लिंग अनुपात लगातार कम हो रहा है, कन्या भुर्ण की हत्या आम बात है, शाला वंचित लडकियो कि संख्या करोडों मे है, महिला पर हुए अपराध दर्ज ही नहीं किये जाते. एसे में एक महिला राष्टपति होना समाज मे महिलाओ के प्रति सकारत्मक सोच को जन्म देगा.
आइये, हम खुले मन से "बदलाव की इस बायर" (हवा) का स्वागत करें!

(फोटो : Hindu.com)

आजकल तेरे मेरे प्यार के किस्से!!

सभी जगह एक ही चर्चा है. "उसने प्यार किया". "उससे प्यार किया"... "उसकी मेहबुबा"..."उसका खत"...
हां, आजकल एक खत कि चर्चा हर जगह है, उसका हर शब्द दोहराया जा रहा है, "बुद्धु बक्से" पर दिन भर लहरा रहा है. ये खत आम नहीं है (हालाकि मौसम "आम" का है). ये खत है अबु सलेम साहेब का...
पिछले सप्ताह सारे "मनोरंजन चैनलो" पर ये ही छाया रहा, क्योकि गुर्जर आन्दोलन के बाद और कोई घटना भी नहीं हुई और BCCI ने भी बैगलुरु मे कुछ निर्णय नही किया, कोई मुद्दा नहीं था.. तो पता नही कही से "डान" का खत हाथ लग गया, और इनकी चांदी हो गई.


उसने तो प्रेम का इजहार किया था, और ये जनाब (मनोरंजन चैनलो वाले) बारत ले के पहुच गये.

खैर प्रश्न ये है कि क्या कोई कैदी प्रेम नहीं कर सकता ? क्या कोइ वकील प्रेम नहीं कर सकती ? कैदी होने से उसके वकील को प्यार करने का अधीकार कम हो जाता है? या कोई प्रेमिका अपने प्रेमी का केस नही ले सकती ?
समझ नही आया एसा कौनसा तुफान आ गया कि ये राष्ट्रीय चिन्ता का विषय बन गया? एक दुर्दान्त अपराधी गर प्यार करे या एसा करने का प्रयास करे तो ये हमारे लिये समाचार क्यों है? क्यों उस पत्र कि हर लाइन इतनी महत्त्वपूर्ण है?

बरहाल वकील ने भी प्यार से इन्कार कर दिया और खत लिखने वाले ने भी. सलेम ने ताल ठोक के कह दिया कि मेरा प्यार केवल मोनिका के लिये. अब ये भी एक समाचार है.

सलमान प्यार करे तो भी समाचार और सलेम प्यार करे तो भी !!
फोटो: news.bbc.co.uk

केसरीया बालम......

मई - जुन माह मे राजस्थान मे एसी गर्मी कभी नहीं महसूस की गई. आजादी के साठ वर्षो कि यह भीषणतम तपीश है. इसकी चपेट में धीरे - धीरे कई राज्य आ रहे है.

लेकिन मुश्किल ये है कि ये तपिश प्राकृतिक नहीं है, मानव निर्मित है. इसलिये इसका समाधान भी "मानव" को ही करना है.

ये उदाहरण है जरा से फायदे के लिये देश, समाज और मानवता का गला घोंटने की. "सामाजिक दादागीरी" कि इससे बडी मिसाल नहीं होगी!

यह शायद इस बात का भी प्रतिक है कि इस "महान" लोकतन्त्र मे "हम" जनता अपने प्रतिनीधि चुनने मे कितने अपरिपक्व हैं.

केसरीया बालम जल रहा म्हारा देश रे.
धोला धोला धोरीया मे लागी कैसी आग है
मिनख कई मर गया, नहीं किन्हेई होश है.
रोटी अपणी सेक रहया, गुर्जर हो या मीणा.
"राणी" तामाशा देख रही, अपणे झरोखा बैठ कर
टाबरिया तो दुध ने तरसे, मुसाफिर सब हैरान
जीवन अठे तो ठहर गयो है, अब सुध लेल्यो कोय!

शान्त कहे जाने वाले रेगिस्तान के इस बवन्डर को सालों याद किया जायेगा, और हम राजस्थानीयो को अपना सिर शर्म से झुकाना पडेगा.

My Blog List

Followers

About this blog

संकलक

www.blogvani.com चिट्ठाजगत