बैसला जी, राजस्थान में रेल रोकेगें.. अंहिसात्मक तरीके से.. पिछली बार देखी थी अहिंसा? आज फिर है.. गांधीजी आप सुन रहे है ना..आ जाओ वापस अगर सीखना है तो.
दोहे "रोटी हैं अनमोल (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
12 hours ago
बैसला जी, राजस्थान में रेल रोकेगें.. अंहिसात्मक तरीके से.. पिछली बार देखी थी अहिंसा? आज फिर है.. गांधीजी आप सुन रहे है ना..आ जाओ वापस अगर सीखना है तो.
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युगान्तर
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1 comments:
एक साल पहले भी ऐसा ही अहिंसात्मक आंदोलन कर चुके है.. जिसमे कई जाने गयी थी.. ये कैसी अहिंसा है.. गाँधी जी यदि जीवित होते तो यही सोच रहे होते..
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