युगान्तर

वो सुबह कभी तो आयेगी..............

राजनीतिक विधवा ??

विवेक जी ने आज अखबारों के भाषा प्रयोग पर एक पोस्ट की.. उसी अखबार (नवभारत टाइम्स) के संपादकिय पृष्ठ पर महिला आरक्षण के पक्ष में एक लेख आज प्रकाशित हुआ.. उसका ये वाक्य देखिये..

".... सबसे ज्यादा 12 महिलाएं संसद में पहुंचाने वाले राज्य यूपी की बात करें तो यहां की महिला सांसदों में से तीन राजनीतिक विधवाएं, तीन राजनेताओं की पत्नियां, दो बहू और एक बेटी है...."

राजनीतिक विधवा क्या शब्द हुआ? कितना अपमानजनक है.... क्या शब्दों का चयन करते हुऐ इतनी सावधानी नहीं रख सकते?

7 comments:

IMAGE PHOTOGRAPHY June 22, 2009 at 5:18 PM  

यह हमारे लोकतन्त्र की आजादी है की लोग कुछ भी बोल व लिख देते है लेकिन शब्दो के संयोजन मे सम्पादको सावधानी बरतनी चहिये

ओम आर्य June 22, 2009 at 6:08 PM  

बरतनी चाहिये........

संगीता पुरी June 23, 2009 at 1:30 AM  

बिल्‍कुल .. भाषा पर तो हमें ध्‍यान देना ही चाहिए।

Udan Tashtari June 23, 2009 at 5:50 AM  

निश्चित ही ऐसी सावधानियाँ बरती जाना चाहिये.

हरकीरत ' हीर' June 25, 2009 at 11:30 PM  

राजनीतिक विधवा ....? achhi pakad ली आपने .....akhbar के daftar में fon कर puchte bhyi क्या है ये सब.....??

KK Yadav June 26, 2009 at 7:06 PM  

Apki nigah parkhi hai.
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आयें मेरे "शब्द सृजन की ओर" भी और कुछ कहें भी....

Vinay June 30, 2009 at 11:32 AM  

आपका यह ब्लॉग तो वाक़ई बहुत सार्थक है।

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