स्थान - कांडला एयरपोर्ट.. समय - प्रातः ७.३० ४ जुलाई २००९
कांडला एक बहुत छोटा सा एयरपोर्ट है.. और दिन में एक फ्लाइट ही आती जाती है.. पहले एयर डेक्कन कहलाती थी आजकल किंग फिशर.. एयरपोर्ट पर चेक इन क्षेत्र अभी पुरा विकसित नहीं है.. केवल एक हॉल है.. जिसे दो हिस्सों में बाट दिया गया है.. आधे भाग में चेक इन और आधे भाग में सुरक्षा जाँच.. चेक इन तो हो जाता है, और किसी भी दुसरे एयरपोर्ट की ही तरह लगता है.. लेकिन पोल पट्टी सुरक्षा जाँच में है.. कम जगह होने से व्यक्तिगत जाँच के लिये कोई जगह नहीं है.. अपना सामान एक्सरे मशीन में डालो.. और फिर वहीं एक बंदा आपको फोरी तौर पर देख लेता है... एक्सरे जांच के बाद जब बारी आई स्टाम्प लगाने की तो वहाँ खडे़ सुरक्षा कर्मी ने बैग फिर से खोलना चाहा.. (हालांकि ये हाई अलर्ट में अक्सर होता है.. और कई बार एक्स रे में संदेह होने पर भी जाँच करते है) तो मैनें एसे ही पुछ लिया कि अभी तो एक्सरे हो कर आया है.. खोल कर देखने कि क्या जरुरत.. तो जबाब सुन हैरान हो गया.. बोला "एसे ही देख लेते है और क्या है न अभी हमारी ट्रेनिंग नहीं हुई है..तो ज्यादा पता नहीं है" ये सुन मैं उसका मुँह ताकता रह गया.. सोच रहा था सुरक्षा पर कितने सजग है हम?
ये सब सोचता हुआ मैं फ्लाईट में सवार हुआ.. छोटा एयरक्राफ्ट था ATR.. जल्द ही सभी मुसाफिर बैठ गये और फ्लाईट उड़ने को तैयार थी.. सेफ्टी डेमो इन फ्लाईट एंटरटेनमेंट सिस्टम पर था.. विजय माल्या जी आये.. स्वागत हुआ.. कहा....".......... at kinggisher your safty is most important for us..." लगा कि हम सुरक्षित हाथों में है.. ध्यान से डेमो देखने लगे.. लेकिन अचानक से आवाज आई..."cabin crew take position of take off..." हम सोचे ये क्या अभी तो सुरक्षा का डेमो पुरा भी नहीं हुआ.. पर कप्तान साहब शायद बहुत जल्दी में थे.. और जब ये सुना "... now sit back releax and enjoy the kigfisher experience..." तब तक हम हवा में काफी ऊचाई पर थे..
मेरे लिये बिना डेमो के उडना पहनी घटना थी.. रहा नहीं गया.. और पहली सीट होने के कारण विमान परिचालिका सामने ही विराजमान थी..पुछ लिया कि "क्या आप हमेशा आधे डेमो में take off कर जाते हैं..." जबाब मिला "ये (demo) खास नहीं है आपने पिक्चर तो देख ही लिये होगें...बस ज्यादा कुछ नहीं है..."
समझ में आया कि सुरक्षा और सावधानी हमारी कितनी प्राथमिकता है..
14 comments:
केवल उनकी क्या सभी की ट्रेनिंग करवाना चाहिये, और अगर हुई भी है तो क्या फ़र्क पड़ता है सब भूल गये होंगे। अगली बार से इन लापरवाह लोगों को छोड़ने की भूल मत कीजियेगा और शिकायत करिये नहीं तो सब ऐसा ही चलता रहेगा।
रोचक प्रसंग था मगर इस अदि ने सब अधूरा हे रहने दिया् अब अदि की कलास लेनी पडेगी आभार्
हमारे लिए सुरक्षा की तैयारी का मतलब होता है कि कुछ हो जाने के बाद हमें क्या करना है? कुछ न हो, इसके लिए क्या करना है, उसके बारे में सोचना पाप समझा जाता है. अब पाप का भागीदार कौन बनना चाहेगा?
अच्छा तो आप पोल खोलते डोल रहे हैं !
सेफ्टी को सॉफ्टी खिलाई जाती है! :)
अच्छी पोल खोली है आपने सुरक्षा तंत्र की...बधाई..
नीरज
Aapkee training ke liye anek shubh kaamnayen!!
Jaantee hun, aadha pal bhi durlaksh ho nahee sakta..!
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भली कही आपने । बडी बडी एयर लाइन्स में भी यही होता है कहीं न कहीं आप सुरक्षा में लेप्स देख ही सकते हैं । पर मुद्दा ध्यान देने योग्य है ।
जी,धन्यवाद...फोटो शो में जो बेबी है वो मेरी बेटी आँचल है...!आप भी इसी तरह पोल खोलते रहिये....मेरी शुभकामनाये...
विजय माल्या या हर उद्योगपति का तो फंडा ही यह होता है, जोखिम उठाओ और आगे बढ़ो।
विजय माल्या या हर उद्योगपति का तो फंडा ही यह होता है, जोखिम उठाओ और आगे बढ़ो।
जय हो.
ठीक कहा है आपने । हमारे लिए सुरछा का जो मतलब होता है उसे हमलोग समझते नही है । ये तो आपने ठीक किया है कि पोल खोलने का काम किया है । शुक्रिया
Shekhar suman ko bataya kya...pol khol abhiyan.
"युवा" ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
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