युगान्तर

वो सुबह कभी तो आयेगी..............

मोहताज नहीं मैं तेरा

कण कण में समाया हूं मैं
हर सांस में समाया हूँ मैं
मोहताज नहीं मैं तेरा


हर जर्रे में मैं
हर पेड़, पत्ती, शाखा में मैं
हर ईंट, पत्थर, बजरी में मैं
मोहताज नहीं मैं तेरा


हर पक्षी में मैं
हर जीव में मैं
हर जीवन मृत्यु में मैं
मोहताज नहीं मैं तेरा


ये जग मेरा
ये सागर अम्बर भी मेरा
ये धरती और पाताल भी मेरा
मोहताज नहीं मैं तेरा

तू दंभ न कर, घमंड न कर
मेरे लिए घर की चिंता न कर
तू मुझसे है, मैं तुझसे नहीं
मोहताज नहीं मैं तेरा


रंजन, अगस्त 7, 2020


इसे YouTube पर देखने के लिए इसे क्लिक करें।


आदि यहाँ है...

0 comments:

My Blog List

Followers

About this blog

संकलक

www.blogvani.com चिट्ठाजगत