बात कल की है, किसी कार्य से हमे भुवनेश्वर से रायगढा जाना था. हमने हिराखण्ड एक्सप्रेस मे टिकट बुक कराया और निर्धारित समय पर स्टेशन पहुच गये. गाडी का तय समय शाम को ८.०० बजे था. ट्रेन भी स्टेशन पर तैयार थी, सोचा कि चलो समय पर चल पडेगे.. (क्योकि समय पर पहुचने कि भविष्यणी तो कोई नहीं कर सकता)... जब ट्रेन ८:१० - ८:१५ तक नही चली.. तो मजाक मैं दोस्तो से कहा - क्या साधु / सुभाष यादव सफर करने वाले है ? और तो कोइ कारण नहीं है इस देरी का... खैर बातो - बातो मे कुछ समय और निकला.. ट्रैन ने (ड्राईवर या स्टेशन मास्टर ने) जैसे ठान रखा था अपनी जगह से नहीं हिलने का..
कुछ समय और निकला... स्टेशन पर हलचल हुई.. एक केन्द्रिय मंत्री का आना हुआ... और ट्रेन चल पडी... करीब ३० मिनिट देरी से... शायद ३० मिनिट कुछ मायने नहीं रखते... ट्रेन मे कुल ११ कोच है और करीब ६०० मुसाफिर.. एक वयक्ति कि वजह से ६०० लोगो का समय खराब ..?? कुछ अच्छा नहीं लग रहा था.. लगा साधु / सुभाष वयर्थ हि बदनाम हो रहे है... कई एसे है.. मुझे पहली बार ये झेल रहा हु... लाखो लोग शायद रोज ये रोज महसुस करते होगें...
मुझे परेशान देख एक साथी ने कहा "आप क्या समझे ये देश आपका है?" मुझे मेरे आम आदमी होने का अहसास हुआ.
खैर एक शिकायत दर्ज कराई है, ये नम्बर है - ०७३६७८.. देखते है क्या जबाब मिलता रेल विभाग से..
आप क्या समझे ये देश आपका है?
Posted by
रंजन (Ranjan)
at
Thursday, July 26, 2007
2 comments:
नये नये आये हैं क्या भाई भारत में??
-खैर, एक शेर लो:
सच मानो या झुठ इसे तुम,समय सभी कुछ दिखलाता है,
गुर सारे जिन्दा रहने के, यह जीवन ही सिखलाता है.
--बताना जरुर अगर कोई जबाब आये ०७३६७८ से.
आपके चिट्ठे पर पहली बार आना हुआ, अभी अंशुल जी के चिट्ठे के मार्फ़त आना हुआ, आशा है लगातार आपको पढ़ने का मौका हमें मिलता रहेगा!
Post a Comment