युगान्तर

वो सुबह कभी तो आयेगी..............

मरना है तो लड़ कर मरना है

लोग बहुत है, शोर बहुत है
यहाँ टँगाडी खोर बहुत है
वो तोड़ना तुम्हारा हौसला चाहते है
क्यो दे हम उन्हें जो वो चाहते है

चाहते वो तुमको चुप करना है
कोई काट नही तुम्हारी बातों का है
है मैदान बड़ा डरना अब क्या है
मरना है तो लड़ के मरना है।

मध्यम मध्यम क्या होता है?
क्या सच का भी कोई मध्यम होता है?
बात टोन से बहुत गहरी है,
ये कुछ औऱ नहीं उनकी मक्कारी है।

क्या तूने कुछ गलत किया है?
क्या तू अपने से शर्मिंदा है?
ये बात नहीं तो क्यों डरता है?
क्या तू लड़ने से डरता है?

सोच की तेरा धेय्य क्या है
क्या तू उनको खुश रखने को जीता है?
लक्ष्य बड़ा है तो कुर्बानी भी बड़ी है
क्या तू कुर्बानी से डरता है?

रख भरोसा तू अपनी मेहनत पर
कर्म किये जा अपने भुज बल पर
शिकन न आने दे अपने चेहरे पर
रह अटल अडिग अपनी राहों पर

मत दे उसे जो वो चाहता है
मरना है तो लड़ कर मरना है

29 Aug 2020







आदि यहाँ है...

सच ही तो कहा था मैंने।



माफ कीजिये आपको बुरा लगा,
सच ही तो कहा था मैंने।


जो है, जैसा है, बिना लग लपेट के
रखा था मैंने
सच ही तो कहा था मैंने।


अपनी बात रखने की आजादी
कड़े संघर्षों से पाई है मैने
सच ही तो कहा था मैंने।


आपको लगता है कि आप बड़े है,
पर बराबरी हक संविधान से पाया है हमनें
सच ही तो कहा था मैंने।


आप चाहते है माफी मांग लू मैं
आपके ईगो को हर्ट किया है मैंने
सच ही तो कहा था मैंने।


सच्चाई के लिए खड़े रहना
गांधी से सीखा है मैंने
माफी मांगकर अन्याय के आगे नहीं झुकूंगा मैं
सच ही तो कहा था मैंने

तो दे दीजिए सजा
जो आपको लगे कानूनी
जिम्मेदार नागरिक का फर्ज निभाया है मैंने
सच ही तो कहा था मैंने


सत्यमेव जयते।
जय हिंद

22 Aug 2020






आदि यहाँ है...

आज़ादी के नए गीत रचें।


देश भक्ति के कई गीत लिखे,
हर दौर में हर जज्बे में लिखे।


देश गुलाम था, अग्रेजो से परेशान था,
हमने कुर्बानी के गीत लिखे,
कौम में जोश जज्बे लाने को
कवियों ने नए गीत रचे।


देश आजाद हुआ,
नई चुनौतियों से साक्षात हुआ
एकता और अखंडता वक्त जरूरत बनी
सभी को एक तार में गुथने को
कवियों ने नए गीत रचे।


60-70 का दशक आया,
चीन और पाक की नापाक
हरकतों से सामना हुआ
लहू की जरूरत आन पड़ी थी
माटी का कर्ज चुकाने को
युवाओं को आगे लाने को
कवियों ने नए गीत रचे।


समय नया आया है
चुनौतिया नई लाया है
देशभक्ति के जज्बे का रूप
नया गढ़ने का वक्त आया है
गीत नए लिखने का वक्त आया हैं।



हुक्म मानेे जनता ने कई सालों तक
अब हुक्मरानों की जबाबदारी तय करने 

का वक्त आया है।
गीत नए लिखने का वक्त आया हैं।



हो गई जनता साक्षर बहुत
अब जनता को शिक्षित करने
का बक्त आया है
गीत नए लिखने का वक्त आया है।



लोक तंत्र का चौथा खम्बा है मीडिया
अब भटकने लगा है वो अपनी सीढिया
ये जिम्मेदारी हमे अपने कंधे पर
लेने का वक्त आया है
गीत नए लिखने का वक्त आया है।


सभी का खून पसीना लगा है
इस आजादी को पाने में
अब आजादी को बचाने का
वक्त आया है

गीत नए लिखने का वक्त आया है।


15 August 2020






आदि यहाँ है...

पर बाकी सब ठीक है।


कल सुबह गाँव में टहलते
अपने घर के बाहर मंजन करते
मुझे पुराना दोस्त सुरेन्द्र मिल गया
मैं बोला क्या हाल सुरेन्द्र
बोला कुछ नहीं भैय्या
नौकरी चली गई घर बैठा हूँ अब,
पर बाकी सब ठीक है।


बहुत बुरा हुआ मैं बोला
कॅरोना ने हालत पतली कर दी
सुरेन्द्र बोला
हालत पतली तो नोट बंदी ने की
और रही सही कसर gst ने पूरी कर दी
फाके पड़ रहे अब खाने के
पर बाकी सब ठीक है।

घर के बाहर खड़ी
धूल छानती पड़ी थी सुरेन्द्र की कार
मैं बोला कपड़ा मारा करो यार
सुरेन्द्र बोला
भाई साहब तेल हो गया है अस्सी
इसकी क़िस्त ही पड़ रही है भारी
हालात खराब है
पर बाकी सब ठीक है।

इतने में मुझे याद आया
सुरेन्द्र ने बुक किया था फ्लेट अपना
मैंने पूछा क्या हाल उसका
ना पूछो भैया छः साल हो गए,
किश्ते भी भर रहा हूँ और किराया भी
पता नहीं कब मिलेगा वो
बचत सुख चुकी है अब
पर बाकी सब ठीक है।

मैं बोला चिंता न कर
अनलॉक हो गया है अब
जल्द ही वापस लग जायेगी नौकरी अब
सुरेन्द्र बोला, अखबार नहीं पढ़ते हो भैय्या
GDP भी हो गई नेगेटिव इस बार
नौकरी की अब आस नहीं
पर बाकी सब ठीक है।

सुरेंद्र का हाल सुन
दिल थम सा गया
बात बदलने कि आस में
मैंने पूछा तेरे चाचा के क्या हाल है?
सुरेंद्र बोला, किसका हाल बताऊँ,
महीनो से बोलचाल बंद है,
सोशल मीडिया के विवाद अब रिश्‍तों मे आ गये है.
सब रिश्ते बिखर गये है
पर बाकी सब ठीक है।

इसके बाद कुछ जबाब देते न बना
राम राम बोल के सुरेंद्र को
मैं आगे बढ़ लिया।


1 Sep 2020


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आदि यहाँ है...

मोहताज नहीं मैं तेरा

कण कण में समाया हूं मैं
हर सांस में समाया हूँ मैं
मोहताज नहीं मैं तेरा


हर जर्रे में मैं
हर पेड़, पत्ती, शाखा में मैं
हर ईंट, पत्थर, बजरी में मैं
मोहताज नहीं मैं तेरा


हर पक्षी में मैं
हर जीव में मैं
हर जीवन मृत्यु में मैं
मोहताज नहीं मैं तेरा


ये जग मेरा
ये सागर अम्बर भी मेरा
ये धरती और पाताल भी मेरा
मोहताज नहीं मैं तेरा

तू दंभ न कर, घमंड न कर
मेरे लिए घर की चिंता न कर
तू मुझसे है, मैं तुझसे नहीं
मोहताज नहीं मैं तेरा


रंजन, अगस्त 7, 2020


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आदि यहाँ है...

इण्डिया अगेंस्ट करप्शन - IAC

आज इण्डिया अगेंस्ट करप्शन कि और कमेटी से कासमी साहेब को निकाल दिया गया.... कासमी जी पर आरोप है कि वो मीटिंग में ऑडियो/विडीयो रिकोर्डिंग कर रहे थे....

पहली बार में अजीब लगा... क्या ये वो ही समूह है जो लोकपाल बिल कि ड्राफ्टिंग कमिटी कि बैठकों कि रिकोर्डिंग चाहता था... क्या ये वो ही समूह है जो सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता कि वकालत करता है...  आप चाहते है कि पारदर्शिता हो.. तो वो ही आप अपने समूह पर लागू क्यों नही कर सकते... सुविधानुसार नैतिक मूल्यों का चुनाव कर दोहरा मापदंड क्यों?

इसी सिलसिले में कोर कमिटी के मीटिंग मिनिट्स खोजे तो पता चला कि मीटिंग मिनिट्स कुछ इस मोहतरमा कि पौशाक जैसे है... जिसमें छुपाने कि कोशिश ज्यादा है और दिखाने कि कम.... आठ घंटों कि बैठक के मिनिट्स डेढ़ पन्नों में समेट कर छाप रस्म आदायगी कर कि गई....



मीटिंग मिनिट्स होने चाहिए कुछ इस तरह है..... दिखाई ज्याद दे, छुपाया कम जाए... और बिल्कुल हॉट....


निर्मल बाबा फ्रोड क्यों?

निर्मल बाबा फ्रोड क्यों? 


अभी तक जो बातें सामने आई है क्या वो निर्मल जीत सिंह उर्फ निर्मल बाबा को फ्रोड कहने के लिए काफी है.... 

  1. निर्मल जीत सिंह ने विज्ञापन देकर समागम में लोगो को बुलाया.. लोगों ने बैक में जा कर अपनी इच्छा से पैसे जमा करवाए..... पहली नजर में शायद ये एक मात्र बाबा है जिसका सारा कारोबार सफेद धन का है... 
  2. बाबा पिछले पांच साल से समागम कर रहा है... सारे चेनल उसका कार्यक्रम दिखाते है.... पूरा पैसा लेकर... बाबा कि बातें में और उपायों में कोई परिवर्तन नहीं आया... फिर ये अचानक बाबा फ्रोड कैसे हो गया... क्या सभी पांच साल से सो रहे थे... ये साधारण सी बात समझने के लिए इतना वक्त लगा... या जब तक कमाना था कमा लिया और जब हवा का रुख बदला तो न्यूज रिपोर्टरों ने अपना मिजाज बदल दिया.. 
  3. बाबा ने करोड़ों कमाए तो ये करोड़ों रुपये लाखों लोगों ने दिए.. और एक दिन में नहीं दिए कई शहरों के लोगों ने दिए... कई सालों तक दिए.. कितनों ने फ्रोड कि शिकायत दर्ज करवाई? 
  4. बाबा ने जो पैसे लिए वो एंट्री फीस के रूप में लिए.. ये कोई दान और चन्दा नहीं है... बाबा ने अपनी कमाई पर टेक्स दिया (अभी तक कोई टेक्स चोरी का मामला नहीं आया) फिर बाबा अपने पैसे से होटल ख़रीदे या फ्लेट.. किसी को क्या लेना देना... 
  5. बाबा कौन है? कहाँ से आया है? क्या करता था? पैसा देने से पहले किसी ने जानने कि कोशिश की? निर्मल बाबा आसमान से नहीं टपका, ये हमारी सोच और हमारी व्यवस्था कि ही उपज है.. 



हम इसी तरह हमारे ‘बाबाओं’ का चुनाव करते है... हम इसी तरह हमारे नेताओं को चुनते है... हम इसी तरह कम कीमत में चमत्कार के सहारे सफलता चाहते है... हम इसी तरह अपने स्वार्थों के लिए वोट देते है..... हम इसी तरह कुछ दिन के लिए हल्ला मचातें है... हम इसी तरह चाहते है कि शुरुआत कोई और करें.... 


निर्मल बाबा बुद्धिमान नहीं, हम मुर्ख और स्वार्थी है... निर्मल बाबा न पहला उदाहरण है न ही आखिरी... अगर ध्यान से देखेगें तो शायद लाखो ऐसे बाबा मिलेगें और करोड़ों ऐसे भक्त.... 


“बाबाजी” कृपा बनाए रखें....

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