अपने घर के बाहर मंजन करते
मुझे पुराना दोस्त सुरेन्द्र मिल गया
मैं बोला क्या हाल सुरेन्द्र
बोला कुछ नहीं भैय्या
नौकरी चली गई घर बैठा हूँ अब,
पर बाकी सब ठीक है।
बहुत बुरा हुआ मैं बोला
कॅरोना ने हालत पतली कर दी
सुरेन्द्र बोला
हालत पतली तो नोट बंदी ने की
और रही सही कसर gst ने पूरी कर दी
फाके पड़ रहे अब खाने के
पर बाकी सब ठीक है।
घर के बाहर खड़ी
धूल छानती पड़ी थी सुरेन्द्र की कार
मैं बोला कपड़ा मारा करो यार
सुरेन्द्र बोला
भाई साहब तेल हो गया है अस्सी
इसकी क़िस्त ही पड़ रही है भारी
हालात खराब है
पर बाकी सब ठीक है।
इतने में मुझे याद आया
सुरेन्द्र ने बुक किया था फ्लेट अपना
मैंने पूछा क्या हाल उसका
ना पूछो भैया छः साल हो गए,
किश्ते भी भर रहा हूँ और किराया भी
पता नहीं कब मिलेगा वो
बचत सुख चुकी है अब
पर बाकी सब ठीक है।
मैं बोला चिंता न कर
अनलॉक हो गया है अब
जल्द ही वापस लग जायेगी नौकरी अब
सुरेन्द्र बोला, अखबार नहीं पढ़ते हो भैय्या
GDP भी हो गई नेगेटिव इस बार
नौकरी की अब आस नहीं
पर बाकी सब ठीक है।
सुरेंद्र का हाल सुन
दिल थम सा गया
बात बदलने कि आस में
मैंने पूछा तेरे चाचा के क्या हाल है?
सुरेंद्र बोला, किसका हाल बताऊँ,
महीनो से बोलचाल बंद है,
सोशल मीडिया के विवाद अब रिश्तों मे आ गये है.
सब रिश्ते बिखर गये है
पर बाकी सब ठीक है।
इसके बाद कुछ जबाब देते न बना
राम राम बोल के सुरेंद्र को
मैं आगे बढ़ लिया।
1 Sep 2020
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