लोग बहुत है, शोर बहुत है
यहाँ टँगाडी खोर बहुत है
वो तोड़ना तुम्हारा हौसला चाहते है
क्यो दे हम उन्हें जो वो चाहते है
चाहते वो तुमको चुप करना है
कोई काट नही तुम्हारी बातों का है
है मैदान बड़ा डरना अब क्या है
मरना है तो लड़ के मरना है।
मध्यम मध्यम क्या होता है?
क्या सच का भी कोई मध्यम होता है?
बात टोन से बहुत गहरी है,
ये कुछ औऱ नहीं उनकी मक्कारी है।
क्या तूने कुछ गलत किया है?
क्या तू अपने से शर्मिंदा है?
ये बात नहीं तो क्यों डरता है?
क्या तू लड़ने से डरता है?
सोच की तेरा धेय्य क्या है
क्या तू उनको खुश रखने को जीता है?
लक्ष्य बड़ा है तो कुर्बानी भी बड़ी है
क्या तू कुर्बानी से डरता है?
रख भरोसा तू अपनी मेहनत पर
कर्म किये जा अपने भुज बल पर
शिकन न आने दे अपने चेहरे पर
रह अटल अडिग अपनी राहों पर
मत दे उसे जो वो चाहता है
मरना है तो लड़ कर मरना है
29 Aug 2020
दोहे "भाषण की पतवार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
16 hours ago
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