युगान्तर

वो सुबह कभी तो आयेगी..............

आज़ादी के नए गीत रचें।


देश भक्ति के कई गीत लिखे,
हर दौर में हर जज्बे में लिखे।


देश गुलाम था, अग्रेजो से परेशान था,
हमने कुर्बानी के गीत लिखे,
कौम में जोश जज्बे लाने को
कवियों ने नए गीत रचे।


देश आजाद हुआ,
नई चुनौतियों से साक्षात हुआ
एकता और अखंडता वक्त जरूरत बनी
सभी को एक तार में गुथने को
कवियों ने नए गीत रचे।


60-70 का दशक आया,
चीन और पाक की नापाक
हरकतों से सामना हुआ
लहू की जरूरत आन पड़ी थी
माटी का कर्ज चुकाने को
युवाओं को आगे लाने को
कवियों ने नए गीत रचे।


समय नया आया है
चुनौतिया नई लाया है
देशभक्ति के जज्बे का रूप
नया गढ़ने का वक्त आया है
गीत नए लिखने का वक्त आया हैं।



हुक्म मानेे जनता ने कई सालों तक
अब हुक्मरानों की जबाबदारी तय करने 

का वक्त आया है।
गीत नए लिखने का वक्त आया हैं।



हो गई जनता साक्षर बहुत
अब जनता को शिक्षित करने
का बक्त आया है
गीत नए लिखने का वक्त आया है।



लोक तंत्र का चौथा खम्बा है मीडिया
अब भटकने लगा है वो अपनी सीढिया
ये जिम्मेदारी हमे अपने कंधे पर
लेने का वक्त आया है
गीत नए लिखने का वक्त आया है।


सभी का खून पसीना लगा है
इस आजादी को पाने में
अब आजादी को बचाने का
वक्त आया है

गीत नए लिखने का वक्त आया है।


15 August 2020






आदि यहाँ है...

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