मुंबई में आतंकी हमले के बाद अंग्रेज दुम दबा कर भाग गये... ७-० से हारने से बेहतर था ५-० से हारना..
पूरा देश नेताओं से हिसाब माँग रहा है और आम आदमी इंसाफ कि उम्मीद में खडा़ है.. हम आक्रोशीत है.. और action चाहते है.. नेता अपना मानसिक संतुलन खो चुके और ’बक’ रहे है..
शायद जनता का ये आक्रोश वो झेल नहीं पा रहे और action लेने की हिम्मत है नहीं.. हमारा और मिडिया का ध्यान बांटने अब वो नई साजिश कर रहे है... भगौडे़ अंग्रेजो को फि़र से बुला रहे है.. सोचते है.. कि हम क्रिकेट देखेगें.. और थोडे दिनों में भूल जायेगें मुंबई को..
सावधान.. ये कोशिश कामयाम न होने देगें.. नहीं देखना हमें गिल्ली डण्डे का खेल..
मत कोशिश करों हमारा ध्यान बांटने की..
हमे हिसाब दो..
इंसाफ दो..
मत ध्यान बटाओं हमारा...
Posted by
रंजन (Ranjan)
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Friday, December 5, 2008
Labels: मुंबई
2 comments:
मत कोशिश करों हमारा ध्यान बांटने की..
हमे हिसाब दो..
इंसाफ दो..
"इस आवाज में हम भी शामिल हैं
क्या बात कही है. हम भी यही चाहते हैं की आप जैसे युवा आक्रोशित रहें. देश का कल्याण होगा.
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