ओबामा महाशय को नोबल पुरस्कार क्या मिला सभी उनके पीछे लग गये.. सवाल उठने लगे... उनकि क्या उपलब्धि है, उन्होने आखिर क्या किया, अभी केवल बातें कि काम होना बाकि है.. वगैरह वगैरह.. अरे भाई ये पुरस्कार उन्हें शांति का संदेश देने या विश्व शांति की दिशा में पहल करने के लिये नहीं दिया जा रहा.. ये पुरस्कार तो उन्हे शांति बनाये रखने के लिये दिया जा रहा है... कैसे.. जरा सोचो अगर ओबामा चाहते तो अपने अग्रज बुश भाई साहब जैसे इराक पर बम डाल सकते थे...
ओसामा कि खोज तेज करने के लिये अफगानिस्तान पर बम बरसा सकते हैं... भारत में २६/११ के हमले में पाकिस्तान का हाथ होने पर पाकिस्तान में आंतकि खोजने जा सकते थे... , ड्रोन से हमले करवाने के बजाये परमाणु बम फोड़ सकते थे.. भाई एक ताकतवार आदमी क्या क्या नहीं कर सकता.. पर उन्होने नहीं किया.. दिया न शांति में योगदान.. बने न वो नोबल के हकदार.. तो बजाओ ताली....
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आदि साहेब जोधपुर पहुँच गये है.. दिपावली मनाने आदि के बारे में जल्द ही यहां पर..
शांति बनाये रखने के लिये नोबल
Posted by
रंजन (Ranjan)
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Sunday, October 11, 2009
5 comments:
बिल्कुल सही कहा आपने इतने शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति अब अगर चाहता तो बहुत ही आक्रामक तेवर अपना सकता था पर नही शांति का प्रदर्शन दिखाया फिर तो फ़र्ज़ बनता है की शांति का नोबेल पुरस्कार दिया जाए
कह तो सही रहे हो...उस हिसाब से तो आदि को भी नोबल पुरुस्कार मिल ही जाना चाहिये वरना आप जानते नहीं कि वो क्या क्या कर सकता है. :)
आदित्य के रेल चलाने से मुझे अपनी नौकरी पर खतरा लग रहा है! :)
wo jis position pe hai wo esse jyada bhi kar sakte hai..etni powers hai unke pass..abhi unhe or waqt dena chahiye tha.....
आपने ठीक कहा कि यह नोबल शांति बनाए रखने के लिए दिया है .ओबामा को नोबल मिलने से नहीं ,भाई ,हम तैश में हैं . गाँधी जी को न मिलने से .
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